कोरोना वायरस फेफड़ों से ज्यादा मस्तिष्क को पहुंचाता है नुकसान,नए शोध में खुलासा

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दुनियाभर में अब तक नौ करोड़ 80 लाख से भी अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 21 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि कई देशों में अब पहले के मुकाबले संक्रमण काफी कम हो गया है, लेकिन फिर भी खतरा बरकरार है। चूंकि कोविड-19 एक नया वायरस है, इसलिए वैज्ञानिक इसके बारे में पूरी तरह से जानने के लिए लगातार शोध कर रहे हैं। इन शोधों में कई हैरान करने वाली बातें भी सामने आ रही हैं। हाल ही में हुए एक शोध में यह पाया गया है कि कोरोना वायरस फेफड़ों से ज्यादा मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है, जिससे गंभीर बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।  


यह शोध चूहों पर किया गया है। शोध से जुड़े अध्ययन को वायरसेस (Viruses) नामक पत्रिका में भी प्रकाशित किया गया है। दरअसल, इस अध्ययन में संक्रमित चूहों के कई अंगों में वायरस के स्तर का आकलन किया गया। शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि संक्रमित चूहों के फेफड़ों में वायरस का स्तर संक्रमण के तीन दिन बाद चरम पर था और फिर घटने लगा। हालांकि, पांचवें और छठे दिन सभी प्रभावित चूहों के मस्तिष्क में संक्रामक वायरस का उच्च स्तर पाया गया। ऐसा तब होता है जब गंभीर बीमारी के लक्षण स्पष्ट हो जाते हैं। इन लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत, भ्रम की स्थिति और कमजोरी शामिल हैं। 

जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता मुकेश कुमार कहते हैं, ‘हमारी यह सोच कि यह (कोरोना वायरस) सांस की बीमारी है, जरूरी नहीं कि यह सच हो। एक बार जब यह मस्तिष्क को संक्रमित करता है तो यह शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि मस्तिष्क आपके फेफड़ों, हृदय, सब कुछ को नियंत्रित करता है। मस्तिष्क एक बहुत ही संवेदनशील अंग है, यह शरीर के लिए केंद्रीय प्रोसेसर की तरह है।  

इस अध्ययन में पाया गया कि मस्तिष्क में वायरस का स्तर शरीर के अन्य हिस्सों की तुलना में लगभग 1,000 गुना अधिक था। अध्ययन के मुताबिक, मुंह के बजाय नाक के रास्ते वायरस मस्तिष्क तक जल्दी पहुंचता है और एक बार जब संक्रमण मस्तिष्क तक पहुंच जाता है, तो काफी नुकसान हो सकता है। 

इससे पहले हुए कई शोधों में यह दावा किया जा चुका है कि कोरोना वायरस फेफड़ों के साथ-साथ मस्तिष्क पर भी गहरा असर डालता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह संभव है कि संक्रमण के चलते मस्तिष्क की उम्र पांच साल तक कम हो जाए। इससे शरीर को और भी कई नुकसान हो सकते हैं।  

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