Mbns news रायपुर|| नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास में हुई कैबिनेट की बैठक में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई है। इस बिल को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने आखिरकार इस बिल को मंजूरी दे दी। इस मंजूरी के बाद महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा। बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों में कांग्रेस, बीजू जनता दल (BJD) और भारत राष्ट्र समिति (BRS) सहित कई दलों ने महिला आरक्षण विधेयक को पेश करने की मांग की है।
महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्यविधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है। विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती हैं। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा।
महिला आरक्षण बिल करीब 27 साल से अटका हुआ था। इससे पहले महिला आरक्षण से जुड़ा विधेयक 1996, 1998 और 1999 में भी पेश किया गया था। आखिरी बार यह मुद्दा 2010 में उठा था। राज्यसभा में बिल पास हो गया था, लेकिन लोकसभा से पारित नहीं हो पाया था।
वर्तमान स्थिति की बात करें तो लोकसभा में 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 के 15 प्रतिशत से भी कम हैं। बीते साल दिसंबर में सरकार द्वारा संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्यसभा में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करीब 14 प्रतिशत है। इसके अलावा 10 राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है। इनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और पुडुचेरी शामिल हैं।
महिला आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस की राय एक थी। हाल ही में तेलंगाना में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी में सोनिया गांधी ने पारित प्रस्ताव में मांग की थी कि विशेष सत्र में महिला आरक्षण के बिल को पास किया जाए। इस संबंध में सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लेटर भी लिखा था।