MBNSNEWS साप्ताहिक लेख ||1||
“रिश्तो में स्वार्थ या स्वार्थ में रिश्ते “
अजीब विडम्बना है ये कि हमारा समाज,
अपने जीवन के उस ऊँची नीची डोर मे..
साथ के लिए रिस्ते बनाता है या,
रिश्ते होते है इसलिए ही,
अपनी जिम्मेदारियों का वहन करता है।
किसी रिश्ते की महात्वाकांछाये अधिक
और किसी रिश्ते में सराहनाएं क्यो है..?
जब ये रिश्ते की रित सदियो से चली आ रही है..
तो इसमें तरह तरह की समस्याए क्यो है..?
मम्मी-पापा,भाई-बहन, माँ-बेटी,ना जाने कई…
सदियों से चली आ रहीं रिश्तो की बागडोर…
आखिर जिम्मेदारियां तय ही है,
तो खुसामते क्यो है..? ये दिखावटे क्यो है..?
वो त्याग, त्याग क्यो है..? वो सिफारिशे क्यो है..?
जब है स्वतंत्रता अपनी इक्छाओ की,
अपनेे रास्ते चुनने की, हर मोड़ पे निर्णय लेने की,
आखिर ये कैसी विडम्बना है,
स्वार्थ में रिश्ते या रिश्तो में स्वार्थ…???
“लेखिका”
Limena nishad
![](/wp-content/uploads/2020/08/CG-Rajiv-Gandhi-Kisan-Nyay-Yojana-2020-21-1.jpg)
Very nice line limena keep it up
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Thanks vanshikha ..
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Thanks Anuj. .. .