छत्तीसगढ़: शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूल, शिक्षा विभाग के अधिकारी परेशान,शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता की उम्मीद कैसी :

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Mbns news Raipur|| कोरिया : छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया जिले के कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है. ऐसे में शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता की उम्मीद कैसे की जा सकती है. सरकार द्वारा शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए शिक्षकों की भर्ती की और भर्ती प्रक्रिया जारी भी है।

इसके बावजूद जिले के कई स्कूलों में शिक्षकों की बड़ी कमी है,प्राथमिक विद्यालयों से लेकर हायर सेकेण्डरी तक के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है. शिक्षक के कमी के बीच में अपने गांव में स्थित स्कूलों में अभिभावक मजबूरी में बच्चों का अध्यापन कार्य कराने मजबूर हैं,

जानकारी के अनुसार पटना क्षेत्र मे स्थित माध्यमिक शाला पिपरा में कक्षा 6वीं से 8वीं तक अध्यापन कार्य कराने के लिए दो शिक्षकों की नियुक्ति हैं, लेकिन उनमें से एक शिक्षक सीएससी का दायित्व निभा रहे हैं. इसके कारण वे अपना ज्यादातर समय संकुल में देते हैं. इस कारण माध्यमिक शाला में एक ही शिक्षक अपनी जिम्मेदारी किसी तरह से निभा रहे।

माध्यमिक शाला पिपरा में प्रधान पाठक राधेश्याम राजवाडे हैं. वहीं दूसरे शिक्षक मलाकी मिंज हैं, जो कि सीएससी का दायित्व संभाल रहे हैं. मलाकी मिंज ज्यादातर संकुल के कार्य में व्यस्त रहते हैं, जबकि संकुल के कार्य के साथ उन्हें भी विद्यालय में कक्षा अध्यापन करना है. लेकिन वे इस ओर ध्यान नहीं देते और संकुल कार्य, डाक आदि का हवाला देकर स्कूल ही नहीं पहुंचते है. अपना अधिकतर समय संकुल में ही बीता रहे हैं. विद्यालय आकर हस्ताक्षर कर देते हैं. कभी कभी ऐसे में सहज ही समझा जा सकता है कि महज एक शिक्षक के भरोसे माध्यमिक शाला पिपरा में छठवीं, सातवीं और आठवीं के बच्चों का भविष्य कितना उज्जवल होगा.

 

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