Mbns news रायपुर|| कांग्रेस में टिकट मांगने वाली की बाढ़ सी आ गई है। आलम ये है कि पार्टी को अब टिकट वितरण के लिए पूरी प्रक्रिया अपनानी पड़ रही है। संभवतः ऐसा पहली बार होगा जब सीएम और पीसीसी चीफ जैसे ओहदे वाले भी टिकट के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र के ब्लॉक के कांग्रेस अध्यक्ष के पास आवेदन करेंगे। इसके पीछे पार्टी की मंशा टिकट वितरण में पारदर्शिता लाना और सही नेता को उम्मीदवार बनाना है। खुद सीएम भूपेश बघेल और डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने भी टिकट के लिए अपने क्षेत्र के ब्लॉक अध्यक्षों के पास आवेदन किया है। वही टिकट वितरण से ठीक पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज के बयान ने उन नेताओं की बेचैनी बढ़ा दी है जो दूसरी पार्टियों का साथ छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए है। ऐसे नेताओं को उम्मीद थी कि कांग्रेस में उन्हें टिकट मिल सकेगा और वह चुनावी मैदान में भी उतर पाएंगे।
दरअसल पीसीसी चीफ ने दीपक बैज ने दो टूक कहा है कि दूसरी पार्टियों से आये नेता यानी दलबदलुओं को पार्टी टिकट नहीं देगी। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने यह भी ऐसे लोग जो सरकारी सेवा में था और अब पार्टी का हिस्सा है उन्हें भी टिकट मिलना मुश्किल है। दीपक बैज ने कहा इस पर वरिष्ठ नेताओं के बीच चर्चा हुई है। और कार्यकर्ता भी यही बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में टिकट केवल कांग्रेस के समर्पित नेता और कार्यकर्ताओं को मिलेगी। वही 6 सितंबर को पहली सूची पर दीपक बैज ने कहा कांग्रेस जिन सीटों पर लगातार जीत रही है उन प्रत्याशियों के नाम घोषित किए जाएंगे।
गौरतलब हैं कि अगर कांग्रेस अपने इस सिद्धांत पर चलती है और दल बदलने वालों की टिकट वितरण में अनदेखी करती है तो उन नेताओ और अफसरों का क्या होगा जो टिकट की आस में है।इस कतार में पूर्व भाजपा नेता और कद्द्वार आदिवासी नेता नंदकुमार साय भी है जो कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके है। इसी तरह कई आईएएस अफसर भी पार्टी में खुद के लिए लॉबिंग कर रहे है। बहरहाल आने वाले सूची से साफ़ हो जाएगा की क्या कांग्रेस अपने इस स्टैंड पर कायम है या नहीं।