उत्तराखंड के जोशी मठ में भूस्खलन

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MBNS NEWS || उत्तराखंड के जोशी मठ में लगातार भूजल रिसाव हो रहा है। हालात  होते जा रहे हैं। लोग कड़ाके की ठंड में घर के बाहर रहने को मजबूर हैं। उन्हें डर लगा रहता है कि घर कभी भी ढह सकता है। जमीन धंसने से मकानों में दरारें आ गईं: जोशीमठ अलकनंदा नदी की ओर खिसक रहा है। जद में सेना की ब्रिगेड, गढ़वाल स्काउट्स और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की बटालियन भी है।
जोशीमठ का वजूद ही मिट सकता है: भूगर्भ वैज्ञानिकों ने चेताया है कि तत्काल निर्णायक कदम नहीं उठाया तो बड़ी आपदा आ सकती है। जोशीमठ का वजूद ही मिट सकता है।
सबसे ज्यादा रविग्राम वार्ड के घरों में दरारें: जोशीमठ में कुल 561 घरों-दुकानों में जमीन धंसने के बाद दरारें मिलने की जानकारी सामने आई है। इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित 153 घर रविग्राम वार्ड के हैं। गांधीनगर वार्ड में 127, मारवाड़ी वार्ड में 28, लोअर बाजार वार्ड में 24, सिंहधर वार्ड में 52, मनोहर बाग वार्ड में 71, अपर बाजार वार्ड में 29, सुनील वार्ड में 27 और 50 परसारी के मकान-दुकानों में दरारें दर्ज की गई हैं।यहां के हालात का जायजा लेने के लिए उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी को जोशीमठ जाएंगे। सबसे ज्यादा असर जोशीमठ के रविग्राम, गांधीनगर और सुनील वार्डों में है। यह शहर 4,677 वर्ग किमी में फैला है। हैरान करने वाली बात है कि पिछले 13 साल से ऐसा हो रहा है।

6 महीने तक घरों का किराया देगी राज्य सरकार
इससे पहले सीएम धामी ने शुक्रवार को हाई लेवल मीटिंग की। इसमें डेंजर जोन को तत्काल खाली कराने और प्रभावित परिवारों के लिए सुरक्षित जगह पर एक बड़ा पुनर्वास केंद्र बनाने का आदेश दिया गया। साथ ही खतरनाक मकान में रह रहे 600 परिवारों को तत्काल शिफ्ट करने के निर्देश दिए गए। जिन लोगों के घर रहने लायक नहीं हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं, उन परिवारों को किराए के मकान में रहने के लिए कहा गया है, इसके लिए उन्हें हर महीने 4 हजार रुपए दिए जाएंगे। ये राशि 6 महीने तक CM रिलीफ फंड से मुहैया कराई जाएगी।

जोशीमठ में ऐसे हालात की वजह

पहला: NTPC की हाइडल प्रोजेक्ट की सुरंग और चारधाम ऑल-वेदर रोड निर्माण को इन हालात के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। सुरंग में मलबा घुस गया था। अब सुरंग बंद है। प्रोजेक्ट की 16 किमी लंबी सुरंग जोशीमठ के नीचे से गुजर रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि संभवत: सुरंग में गैस बन रही है, जो ऊपर की तरफ दबाव बना रही है। इसी कारण जमीन धंस रही है।

दूसरा: जोशीमठ का मोरेन पर बसा होना।

बद्रीनाथ के प्रवेश द्वार पर डूबने का खतरा

चार धाम के प्रमुख धाम बद्रीनाथ के प्रवेश द्वार कहलाने वाले उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशी मठ के शहर पर डूबने का खतरा है। पांच सदस्यीय दल ने इसकी जांच की है। इसमें जोशी मठ के नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार, SDM कुमकुम जोशी, भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ दीपक हटवाल, कार्यपालक इंजीनियर (सिंचाई) अनूप कुमार डिमरी और जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी शामिल थे।

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